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Showing posts from April, 2020

रोचक जानकारी

                        रोचक जानकारी प्रश्न -तानसेन के गुरु कौन थे ?   उत्तर -हरिदास प्रश्न - सिकंदर के गुरु का नाम क्या था ?   उत्तर -अरस्तू  प्रश्न -रविवार की छुट्टी कब से आरम्भ हुई ?   उत्तर -सन 1843 से  प्रश्न - संसार की किस चीज की गति सबसे तेज है ? उत्तर -मन  प्रश्न -1 से लेकर 100 तक गिनती लिखने में 1 कितनी बार लिखना पड़ता है ? उत्तर -21 बार  प्रश्न -बच्चे किस महीने में कम रोते है? उत्तर -फरवरी  प्रश्न -प्रसिद्ध चिकित्सा पद्यति 'होम्योपैथी 'के जन्म दाता कौन थे ?     उत्तर -हैनीमैन  प्रश्न -दशमलव प्रणाली का जनक कौन सा देश है ? उत्तर -भारत  प्रश्न -ताजमहल को कितने कारीगरों ने कितने समय में बनाया ? उसमे कितनी लागत आयी ? उत्तर -ताजमहल को 20,000 कारीगरों ने 20 वर्ष में बनाया ,इसको बनाने में उस समय चार करोड़ रुपए का खर्च आया था |    प्रश्न -अंधे लोग लिखते -पढ़ते कैसे है ? उत्तर -बेल लिपि के...

इस्लाम धर्म

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इस्लाम धर्म के विषय में जानकारी  इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब थे |  हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ |  हजरत मुहम्मद साहब  के पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम अमीना था |  हजरत मुहम्मद साहब को 610 ई. में मक्का के पास हीरा नामक गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई |  24 सितम्बर ,622 ई. को पैगम्बर के मक्का से मदीना की यात्रा इस्लाम जगत में मुस्लिम संवत (हिजरी संवत )के नाम से जाना जाता है |  हजरत मुहम्मद साहब की शादी 25 वर्ष की अवस्था में खदीजा नामक विधवा के साथ हुई |  हजरत मुहम्मद साहब की पुत्री का नाम फातिमा एवं दामाद का नाम अली है |  देवदूत जिब्रियल ने  हजरत मुहम्मद साहबको कुरान अरबी भाषा में सम्प्रेषित की |  कुरान इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ है |  हजरत मुहम्मद साहब की मृत्यु 8 जून ,632 ई. को हुई | इन्हे मदीना में दफनाया गया |  हजरत मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद इस्लाम सुन्नी तथा शिया नामक दो पंथो में विभाजित हो गया |  ...

जहाँगीर (1605 -1627 ई.

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                         जहाँगीर (1605 -1627 ई.  अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ जो 24 अक्टूबर ,1605 ई. को नसीरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा |  जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त ,1569 ई. को हुआ |  जहाँगीर को न्याय की जंजीर  लिए याद किया जाता है | यह जंजीर सोने की बनी थी ,जो आगरा के किले के शाहबुर्ज एवं यमुना -तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाई हुई थी |  जहाँगीर द्वारा शुरू की गई 'तुजुक -ए -जहांगीरी 'नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिंद खाँ को है |  जहाँगीरके सबसे बने पुत्र खुसरो ने 1606 ई. में अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह कर दिया | खुसरो और  जहाँगीरकी सेना के बीच युद्ध जालंधर के निकट भैरावल नामक मैदान में हुआ | खुसरो को पकड़कर कैद डाल दिया गया |  खुसरो की सहायता देने के कारण  जहाँगीर ने सिक्खो के 5 वे गुरु से गोइंदवाल में मिला था |  अहमदनगर के वजीर मालिक अम्बर के विरूद्ध सफलता से खुश होकर  ज...

हुमायूँ (1530 -1556 ई. )

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                      हुमायूँ (1530 -1556 ई. )  नसीरुद्दीन हुमायूँ , 29 दिसम्बर ,1530 ई. को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा | गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूँ  बदख्शाँ का सूबेदार था |  अपने पिता के निर्देश का अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बटवारा अपने भाइयो में कर दिया | इसने कामरान को काबुल और कंधार अस्करी को सँभल ,मिर्जा हिन्दाल को अलवर एवं मेवाड़ की जागीर दी | अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हुमायूँ ने बदख्शाँ प्रदेश दिया |  1533 ई. में हुमायुं ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी |  चौसा का युद्ध 25 जून ,1539 ई. में शेर खाँ एवं हुमायु के बीच हुआ | इस युद्ध में शेर खाँ विजयी रहा | इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली |  बिलग्राम या  कंन्नौज युद्ध 17 मई ,1540 ई. में शेर खाँ एवं हुमायूँ के बीच हुआ | इस युद्ध में भी हुमायूँ पराजित हुआ | शेर ख़ाँ ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया |  बिलग्राम या कन...

शेरशाह सूरी (1540 -1545 ई.)

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                शेरशाह सूरी (1540 -1545 ई.) सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था |  डॉ. के. आर. कानूनगो के अनुसार हरियाणा प्रान्त के नारनौल (महेंद्रगढ़ ) स्थान पर इब्राहिम के पुत्र हसन के घर वर्ष 1486 ई. में शेरशाह का जन्म हुआ था |  परमात्मा शरण का विचार है कि शेरशाह का जन्म वर्ष 1472 में हुआ था |  इनके बचपन का नाम फरीद खाँ था | यह सूर वंश से सम्बंधित था |  इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे |  फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था | उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ की उपाधि प्रदान की |  शेरशाह बिलग्राम युद्ध (1540 ई. )के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा |  शेरशाह  की मृत्यु कालिंजर के किले को जितने के क्रम 22 मई ,1545 ई. को हो गयी | मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था |  कालिंजर का शासक कीरत सिंह था |  ...