शेरशाह सूरी (1540 -1545 ई.)
सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था |
डॉ. के. आर. कानूनगो के अनुसार हरियाणा प्रान्त के नारनौल (महेंद्रगढ़ )स्थान पर इब्राहिम के पुत्र हसन के घर वर्ष 1486 ई. में शेरशाह का जन्म हुआ था |
परमात्मा शरण का विचार है कि शेरशाह का जन्म वर्ष 1472 में हुआ था |
इनके बचपन का नाम फरीद खाँ था | यह सूर वंश से सम्बंधित था |
इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे |
फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था | उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ की उपाधि प्रदान की |
शेरशाह बिलग्राम युद्ध (1540 ई. )के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा |
शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जितने के क्रम 22 मई ,1545 ई. को हो गयी | मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था |
कालिंजर का शासक कीरत सिंह था |
शेरशाह का मकबरा सासाराम में झील के बीच ऊचें टीले पर निर्मित किया गया है |
रोहतासगढ़ किला ,किला -ए -कुहना (दिल्ली )नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था |
शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था |
शेरशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अंक वाला सिकंदरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया |
शेरशाह ने 178 ग्रेन चाँदी का रुपया एवं 380 ग्रेन ताँबे के दाम चलवाया |
शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग एवं कन्नौज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया |
शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1 /3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी |
कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की |
शेरशाह ने 1541 ई. में पाटिलपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया |
शेरशाह ने ग्रैंड ट्रंक रोड मरम्मत करवायी | मालिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे | डाक -प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा किया गया |
....................................................................................................
www.gkrise.in
Comments
Post a Comment