बक्सर का युद्ध
बक्सर का युद्ध
यह युद्ध 23 अक्टूबर ,1764 ई. को लड़ा गया। इस युद्ध ओर अंग्रेजी सेनाएँ थी तथा दूसरी ओर बंगाल के भूतपूर्व नवाब मीरकासिम ,अवध के नवाब शुजाउदौला तथा मुग़ल सम्राट शाहआलम की संयुक्त सेनाएँ थी।
युद्ध के कारण :
इसके निम्नलिखित कारण थे :
(1) मीरकासिम का नवाब के पद से हटाया जाना
(2) मीरकासिम द्वारा अंग्रेज बंदियों की हत्या
(3 ) अवध के नवाब शुजाउदौला द्वारा स्वार्थपूर्ति के लिए मीरकासिम की सहायता
(4 ) मीरकासिम ,शुजाउदौला तथा शाहआलम में आपसी गठबंधन
बक्सर युद्ध का प्रारम्भ और घटनाएँ - मीरकासिम ,शुजाउदौला तथा शाहआलम की सम्मिलित सेनाओ ने बिहार की ओर बढ़ना आरम्भ किया। उन्हें कुछ फ्रांसीसियों ने भी सहायता दी। 1764 ई. के पूर्वार्द्ध में बिहार और अवध की सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रो में मुठभेड़े हुई ,परन्तु कोई निर्णय न हो सका इसी बीच एक अत्यंत योग्य सेनापति मुनरो ने अंग्रेजी सेना नेतृत्व संभाला। 23 अक्टूबर ,1764 ई. को गंगा नदी के तट पर स्थित बक्सर नामक स्थान दोनों स्थानों के मध्य भीषण संग्राम हुआ। दोनों ओर से काफी संख्या में सैनिक मारे गए। अंत में इस युद्ध में अंग्रेज ही विजयी रहे। मुगल सम्राट शाहआलम ने अंग्रेजो से समझौता कर लिया तथा मीरकासिम युद्ध -क्षेत्र से भाग गया। शुजाउदौला ने कुछ समय तक युद्ध अवश्य जारी रखा ,परन्तु अकेले कुछ न कर सका और अंत में उसने भी कोटा नामक स्थान पर आत्मसमर्पण कर दिया। इस प्रकार बक्सर का युद्ध समाप्त हो गया ।
बक्सर के युद्ध के परिणाम :
बक्सर का युद्ध मीर कासिम साथ शुजा के समझौते -गठबंधन का परिणाम था। इसी परिपेक्ष्य में यह बंगाल की राजनीतिक घटनाओ से सम्बद्ध था। इस युद्ध में पराजय के परिणाम शुजा को ही झेलने पड़े क्योंकि मीरकासिम युद्ध के पूर्व शुजा से सम्बन्ध तोड़ चूका था। मात्र एक ही आघात ने उत्तर भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शासक को भूमिसात कर दिया। सैनिक द्रष्टि से बक्सर के युद्ध में विजय प्राप्त करने से बंगाल में अंग्रेजी सत्ता के प्रभुत्व की स्थापना की प्रक्रिया गई अवध -इलाहाबाद क्षेत्र के द्वार भी उनके प्रभाव विस्तार के लिए उन्मुक्त हो गए।
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