प्लासी का युद्ध

                        प्लासी का युद्ध 
                     (Battle of Plassey)
युद्ध के कारण 
सिराजुदौला के सिंहासन पर आसीन होते ही अंग्रेजो से  उसके सम्बन्ध कटुतापूर्ण होते चले गए और जून ,1756 ई. तक इन कटुतापूर्ण सम्बन्धो में निरंतर वृद्धि होती चली गयी। इस शत्रुता के उत्पन्न होने के कारण निम्नलिखित थे :
(1 )सिराजुदौला का अनिश्चित उत्तराधिकार और राज्य में आंतरिक कलह 
(2 )सिराजुदौला के विरोधियो द्वारा अंग्रेजो की सहायता 
(3 )सिराजुदौला द्वारा किलेबंदी पर प्रतिबन्ध 
(4 )अंग्रेजो द्वारा व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग 
(5 )सिराजुदौला का कासिम बाजार ,कलकत्ता पर अधिकार तथा ब्लैक होल की घटना 
(6 )अंग्रेजो द्वारा कलकत्ते पर पुनः अधिकार तथा चंद्रनगर पर अधिकार 
(7 )नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र 
घटनाएं (Events ,23 rd June ,1757 ):षड्यंत्र के पूर्ण रूप से निश्चित हो जाने पर क्लाइव युद्ध का बहाना ढूढ़ने लगा। उसने शीघ्र ही सिराजुदौला पर आरोप लगाया कि वह 9 फरवरी ,1757 ई. को अलीनगर की संधि का पालन नहीं कर रहा है तथा फ्रांसीसियों एवं डचो के साथ सहयोग करके षड्यंत्र कर रहा है। सिराजुदौला के द्वारा इस आरोप का खण्डन करने पर भी क्लाइव ने उस पर आक्रमण कर दिया। 22 जून 1757 ई. को नवाब तथा अंग्रेजो की सेनाएँ 'प्लासी ' नामक गांव के पास एक -दूसरे के सामने आ खङी हुई ,युद्ध 23 जून ,1757 ई. को अगले दिन आरम्भ हुआ। सिराजुदौला की सेना की संख्या लगभग 50,000 थी जबकि अंग्रेजी सेना की संख्या केवल 3,200 थी ,परन्तु क्लाइव को यह विश्वास था की सिराजुदौला की सेना का बहुत बङा भाग युद्ध में भाग नहीं लेगा। दोपहर के समय तक क्लाइव ने नवाब की सेना पर आक्रमण कर दिया। मोहन लाल तथा मीरमदान के सेनापतित्व में नवाब की थोड़ी -सी सेना तथा कुछ फ़्रांसिसीयो ने अंग्रेजी सेना का वीरतापूर्वक सामना किया। मीरजाफर तथा रायदुर्लभ के सेनापतित्व में सेना के एक विशाल भाग ने इस युद्ध में कोई भाग नहीं लिया और सिराजुदौला के साथ विश्वासघात किया। जब नवाब को इस बात का पता चला की उसके बड़े -बड़े सेनानायक उससे विश्वासघात कर  रहे है तो यह घबरा गया अतः अपने प्राणों की रक्षा हेतु युद्ध -क्षेत्र से भागकर मुर्शिदाबाद पहुंचा और वहां से वह अपनी पत्नी लुत्फउन्निसा के साथ पटना की ओर भाग गया ,परन्तु उसे शीघ्र ही बंदी बना लिया गया तथा कुछ समय पश्चात् मीरजाफर के पुत्र मीस ने उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार धोखे से अंग्रेजो को बहुत बङी सफलता मिल गयी। 

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