तुगलक वंश :1320 -1398 ई.
तुगलक वंश :1320 -1398 ई.

5 सितम्बर ,1320 ई. को खुशरो खाँ को पराजित करके गाजी मालिक या तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर ,1320 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा |
इसने सिंचाई के लिए कुऍ एवं नहरों का निर्माण करवाया | सम्भवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था |
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाङियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया | रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ | इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है |
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई. में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी महल में दबकर हो गयी |
गयासुद्दीन तुगलक के बाद जूना खाँ मुहम्मद बिन तुगलक नाम से दिल्ली के नाम से दिल्ली के सिंहासन बैठा |
मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओ ,क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख -दुःख प्रति उपेक्षा भाव रखने कारण स्वप्नशील ,पागल एवं
रक्तपिपासु कहा गया |
मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए 'अमीर -ए -कोही 'नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की |
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानांतरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा |
सांकेतिक मुद्रा के अंतर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने काँसा (फरिश्ता के अनुसार ),तांबा (बर्नी के अनुसार ) धातुओं के सिक्के चलवाए ,जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था | एडवर्ड थॉमस ने मुहम्मद बिन तुगलक को ' प्रिंस ऑफ़ मनिअर्स 'की संज्ञा दी |
अफ़्रीकी (मोरक्को )यात्री इब्नबतूता लगभग 1333 ई. में भारत आया
| सुल्तान इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया | 1342 ई. में सुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा |
इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मुहम्मद तुगलक के समय की घटनाओ
का वर्णन है |
मुहम्मद तुगलक ने जिन सूर नामक जैन -साधु के साथ विचार -विमर्श किया था |
मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च ,1351 ई. को सिंध जाते समय के निकट गोडाल में हो गयी |
मुहम्मद बिन तुगलक मृत्यु पर इतिहासकार बदायूनी लिखता है ,"अंततः लोगों को उससे मुक्ति मिली और उसे लोगो से "|
मुहम्मद बिन तुगलक शेख अलाउद्दीन का शिष्य था |
मुहम्मद बिन तुगलक ने बदायूं में मीरन मुलहीम ,दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औलिया ,मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन ,अजुधन में शेख मुल्तान आदि संतो की कब्र पर मकबरे बनवाए |
फिरोज तुगलक का राजयभिषेक थट्टा नजदीक 20 मार्च ,1351 ई. को हुआ | खलीफा द्वारा इसे कासिम अमीर उल मोममिन की उपाधि दी गई|
राजस्व व्यवस्था के अंतर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करो समाप्त कर चार कर -खराज (लगान ),ख़ुम्स (युद्ध में लूट का माल ),जजिया एवं जकात को वसूल करने का आदेश दिया |
फिरोज तुगलक ब्राह्मणो पर जजिया लागु करने वाला पहला मुसलमान शासक था
फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिंचाई -कर भी लगाया ,जो उपज का
1 /10 भाग था |
फिरोज तुगलक ने 5 बङी नहरों का निर्माण करवाया |
फिरोज तुगलक ने 300 नए नगरों की स्थापना की | इनमे हिसार ,फिरोजाबाद ,फतेहाबाद ,जौनपुर ,फिरोजपुर प्रमुख है |
इसके शासनकाल में खिज्राबाद (टोपरा गाँव )एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया |
सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओ ,विधवाओं एवं लड़कियों की सहायता लिए एक नए विभाग दीवान -ए -खैरात स्थापना की |
सल्तनतकालीन सुल्तानों शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या (करीब -180000 )फिरोज तुगलक समय थी |
दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने नए विभाग दिवान -ए -बन्दगान की स्थापना की |
इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया |
राजस्व व्यवस्था के अंतर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करो समाप्त कर चार कर -खराज (लगान ),ख़ुम्स (युद्ध में लूट का माल ),जजिया एवं जकात को वसूल करने का आदेश दिया |
फिरोज तुगलक ब्राह्मणो पर जजिया लागु करने वाला पहला मुसलमान शासक था
फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिंचाई -कर भी लगाया ,जो उपज का
1 /10 भाग था |
फिरोज तुगलक ने 5 बङी नहरों का निर्माण करवाया |
फिरोज तुगलक ने 300 नए नगरों की स्थापना की | इनमे हिसार ,फिरोजाबाद ,फतेहाबाद ,जौनपुर ,फिरोजपुर प्रमुख है |
इसके शासनकाल में खिज्राबाद (टोपरा गाँव )एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया |
सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओ ,विधवाओं एवं लड़कियों की सहायता लिए एक नए विभाग दीवान -ए -खैरात स्थापना की |
सल्तनतकालीन सुल्तानों शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या (करीब -180000 )फिरोज तुगलक समय थी |
दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने नए विभाग दिवान -ए -बन्दगान की स्थापना की |
इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया |
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