गुलाम वंश के विषय में जानकारी
गुलाम वंश के विषय में जानकारी
(1206 ई. -1290 ई. )
1. गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था | वह गोरी का गुलाम था |
2.कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून ,1206 ई. को किया था |
3. दिल्ली का कुवत -उल -इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का ढ़ाई दिन का झोपङा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक करवाया था |
4. कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्स (लाखो का दान देने वाला )भी कहा जाता था |
5. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था |
6. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोङे से गिरकर हो गयी | इसे लाहौर में दफनाया गया |
7. कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ ,जिसने सिर्फ आठ महीनो तक शासन किया |
8. आरामशाह की हत्या करके इल्तुमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा |
9. इल्तुमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था ,जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था | कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूं का गवर्नर था |
10. इल्तुमिश लाहौर से राजधानी को स्थानांतरित करके दिल्ली लाया |
11. इल्तुमिश पहला शासक था ,जिसने 1299 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की |
12. इल्तुमिश की मृत्यु अप्रैल ,1236 ई. में हो गयी |
इल्तुमिश द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य
13. इल्तुमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा , वह एक अयोग्य शासक था | इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकन छाई रही |
14. शाह तुरकन के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरो ने रुकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी , जिसने शासन की बागडोर सँभाली |
15. रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषो की तरह चोगा (काबा )एवं कुलाह (टोपी )पहनकर राजदरबार में खुले मुँह से जाने लगी |
16. रजिया ने मालिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर -ए -अखूर (घोड़े का सरदार )नियुक्त किया |
17. गैर तुर्की को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरूद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइज़ुद्दीन बहराम शाह को बैठा दिया |
18. रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई | इससे शादी करने के बाद रजिया पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया ,लेकिन वह असफल रही |
19. रजिया की हत्या 13 अक्टूबर ,1240 ई. को डाकुओ के द्वारा कैथल के पास कर दी गई |
20. बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई ,1242 ई. में कर दी गई |
21 . बहराम शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह 1242 ई. में बना |
22. बलवन ने षड्यंत्र के द्वारा 1246 ई. में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया |
23. बलवन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था | वह इल्तुमिश का गुलाम था |
24. तुर्कान -ए -चिहलगानी का विनाश बलवन ने किया था |
25. बलवन 1266 ई. में गियासुद्दीन बलवन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा | यह मंगोलो के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा |
26. राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलवान ने की थी |
27. बलवन ने फ़ारसी रीति -रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारम्भ करवाया |
28. अपने विरोधियो के प्रति बलवन ने कठोर 'लौह एवं रक्त ' की नीति का पालन किया |
29. नासिरुद्दीन महमूद ने बलवन को उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की |
30. बलवन के दरबार में फ़ारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे |
31. गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्सुद्दीन कैमुर्स था |
(1206 ई. -1290 ई. )
1. गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था | वह गोरी का गुलाम था |
2.कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून ,1206 ई. को किया था |
3. दिल्ली का कुवत -उल -इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का ढ़ाई दिन का झोपङा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक करवाया था |
4. कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्स (लाखो का दान देने वाला )भी कहा जाता था |
5. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था |
6. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोङे से गिरकर हो गयी | इसे लाहौर में दफनाया गया |
7. कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ ,जिसने सिर्फ आठ महीनो तक शासन किया |
8. आरामशाह की हत्या करके इल्तुमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा |
9. इल्तुमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था ,जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था | कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूं का गवर्नर था |
10. इल्तुमिश लाहौर से राजधानी को स्थानांतरित करके दिल्ली लाया |
11. इल्तुमिश पहला शासक था ,जिसने 1299 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की |
12. इल्तुमिश की मृत्यु अप्रैल ,1236 ई. में हो गयी |
इल्तुमिश द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य
- कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया
- सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किये | (चाँदी का टंका एवं तांबा का जीतल )
- इक्ता प्रणाली चलाई
- चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया ,जो तुर्कान -ए -चिहलगानी के नाम से जाना गया
- सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरो का दमन किया
13. इल्तुमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा , वह एक अयोग्य शासक था | इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकन छाई रही |
14. शाह तुरकन के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरो ने रुकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी , जिसने शासन की बागडोर सँभाली |
15. रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषो की तरह चोगा (काबा )एवं कुलाह (टोपी )पहनकर राजदरबार में खुले मुँह से जाने लगी |
16. रजिया ने मालिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर -ए -अखूर (घोड़े का सरदार )नियुक्त किया |
17. गैर तुर्की को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरूद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइज़ुद्दीन बहराम शाह को बैठा दिया |
18. रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई | इससे शादी करने के बाद रजिया पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया ,लेकिन वह असफल रही |
19. रजिया की हत्या 13 अक्टूबर ,1240 ई. को डाकुओ के द्वारा कैथल के पास कर दी गई |
20. बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई ,1242 ई. में कर दी गई |
21 . बहराम शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह 1242 ई. में बना |
22. बलवन ने षड्यंत्र के द्वारा 1246 ई. में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया |
23. बलवन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था | वह इल्तुमिश का गुलाम था |
24. तुर्कान -ए -चिहलगानी का विनाश बलवन ने किया था |
25. बलवन 1266 ई. में गियासुद्दीन बलवन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा | यह मंगोलो के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा |
26. राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलवान ने की थी |
27. बलवन ने फ़ारसी रीति -रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारम्भ करवाया |
28. अपने विरोधियो के प्रति बलवन ने कठोर 'लौह एवं रक्त ' की नीति का पालन किया |
29. नासिरुद्दीन महमूद ने बलवन को उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की |
30. बलवन के दरबार में फ़ारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे |
31. गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्सुद्दीन कैमुर्स था |
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