प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत
१. प्राचीन वस्तुओ के अध्ययन का कार्य सर्वप्रथम सर विलियम जोन्स ने शुरू किया उन्होंने 1774 ई. में 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल 'की स्थापना की।
२. शक नरेश रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत में लिखा पहला अभिलेख है।
३. भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक है अशोक के नाम का स्थल मास्की ,गुर्जरा ,पानगुडया ,निट्टूर ,उद्गोलम के अभिलेखों से प्राप्त होता है।
४. ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837 ई. में पढ़ने में सफलता पायी।
५. प्रारम्भिक अभिलेख प्राकृत भाषा में तथा गुप्त ,गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत भाषा में है।
६. एशिया माइनर में बोगजकोई नामक स्थान पर 1400 ई. पू. एक अभिलेख (संधिपत्र )मिला है जिसमे इंद्र ,वरुण ,मित्र ,नासत्य वैदिक देवताओ के नाम दिए है।
७. पोर्सिपोलिस तथा बहिस्तून अभिलेख से पता चलता है कि डेरियस प्रथम ने सिंधु नदी घाटी पर अधिकार कर लिया था।
८. फिरोजशाह तुगलक को अशोक के दो स्तम्भ लेख मेरठ तथा टोपरा (हरियाणा )से मिले थे ,जिन्हे उसने दिल्ली में मगवाया।
९. सबसे पहले हिन्द यूनानियों ने ही स्वर्ण मुद्राएँ जारी की।
१०. अधिक शुद्ध स्वर्ण मुद्राएँ कुषाण तथा सबसे अधिक स्वर्ण मुद्राएँ गुप्तो ने जारी की।
११. सबसे अधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के मिले है।
१२. आहत सिक्को का अध्ययन डॉ. कौशाम्बी ने प्रस्तुत किया है।
१३. मूर्तियों का प्रारम्भ कुषाण काल से हुआ।
१४. मोहनजोदङो से प्राप्त 500 से अधिक मुहरों से हड़प्पा संस्कृति के निवासियों के धार्मिक विश्वासों की जानकारी मिलती है।
१५. बसाढ़ से प्राप्त मिट्टी की मुहरों से व्यापारिक श्रेणियों का पता चलता है।
१६. भारत में लोहे का प्रयोग 1000 ई. पू. में हुआ।
१७. मृदभांड के द्वारा विभिन्न संस्कृतियों की पहचान संभव है।
१८. नवपाषाण कालीन स्थलों से पांडु रंग के उत्तम मृदभांड प्राप्त होते है।
१९. हड़प्पा काल में लाल मृदभांड उत्तर वैदिक काल में चित्रित घूसर मृदभांड तथा मौर्य युग की पहचान उत्तरी काले मृदभांड से प्राप्त की जाती है।
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१. प्राचीन वस्तुओ के अध्ययन का कार्य सर्वप्रथम सर विलियम जोन्स ने शुरू किया उन्होंने 1774 ई. में 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल 'की स्थापना की।
२. शक नरेश रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत में लिखा पहला अभिलेख है।
३. भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक है अशोक के नाम का स्थल मास्की ,गुर्जरा ,पानगुडया ,निट्टूर ,उद्गोलम के अभिलेखों से प्राप्त होता है।
४. ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837 ई. में पढ़ने में सफलता पायी।
५. प्रारम्भिक अभिलेख प्राकृत भाषा में तथा गुप्त ,गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत भाषा में है।
६. एशिया माइनर में बोगजकोई नामक स्थान पर 1400 ई. पू. एक अभिलेख (संधिपत्र )मिला है जिसमे इंद्र ,वरुण ,मित्र ,नासत्य वैदिक देवताओ के नाम दिए है।
७. पोर्सिपोलिस तथा बहिस्तून अभिलेख से पता चलता है कि डेरियस प्रथम ने सिंधु नदी घाटी पर अधिकार कर लिया था।
८. फिरोजशाह तुगलक को अशोक के दो स्तम्भ लेख मेरठ तथा टोपरा (हरियाणा )से मिले थे ,जिन्हे उसने दिल्ली में मगवाया।
९. सबसे पहले हिन्द यूनानियों ने ही स्वर्ण मुद्राएँ जारी की।
१०. अधिक शुद्ध स्वर्ण मुद्राएँ कुषाण तथा सबसे अधिक स्वर्ण मुद्राएँ गुप्तो ने जारी की।
११. सबसे अधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के मिले है।
१२. आहत सिक्को का अध्ययन डॉ. कौशाम्बी ने प्रस्तुत किया है।
१३. मूर्तियों का प्रारम्भ कुषाण काल से हुआ।
१४. मोहनजोदङो से प्राप्त 500 से अधिक मुहरों से हड़प्पा संस्कृति के निवासियों के धार्मिक विश्वासों की जानकारी मिलती है।
१५. बसाढ़ से प्राप्त मिट्टी की मुहरों से व्यापारिक श्रेणियों का पता चलता है।
१६. भारत में लोहे का प्रयोग 1000 ई. पू. में हुआ।
१७. मृदभांड के द्वारा विभिन्न संस्कृतियों की पहचान संभव है।
१८. नवपाषाण कालीन स्थलों से पांडु रंग के उत्तम मृदभांड प्राप्त होते है।
१९. हड़प्पा काल में लाल मृदभांड उत्तर वैदिक काल में चित्रित घूसर मृदभांड तथा मौर्य युग की पहचान उत्तरी काले मृदभांड से प्राप्त की जाती है।
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