महमूद के सत्रह आक्रमण
महमूद के सत्रह आक्रमण


महमूद ने भारत पर १००० ई. से १०२६ ई. तक सत्रह बार आक्रमण किया। उसके इस आक्रमण का उल्लेख 'हेनरी इलिएट 'ने किया है।
(१)१००० ई. में प्रथम बार महमूद ने उत्तर -पश्चिमी सीमा के कुछ नगरों और पेशावर के आस -पास के कुछ किलो पर अधिकार किया।
(२)१००१ ई. में महमूद ने पेशावर पर आक्रमण करके बाजीराव को पराजित किया।
(३ )१००४ ई. में उसने भेरा तथा भटिण्डा पर आक्रमण करके बाजीराव को पराजित किया।
(४ )१००५ -०६ ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक अबुल फतह दाऊद को पराजित करके २०,००० सोने के दिरहम प्राप्त किए तथा जयपाल के पौत्र सेवकपाल (सुखपाल )को (जिसने इस्लाम स्वीकार कर नौकशाह नाम ग्रहण कर लिया था )मुल्तान को शासन सौप दिया।
(५ )महमूद के लौटते ही नौकशाह (सुखपाल )ने इस्लाम त्याग दिया। अतः महमूद ने आक्रमण क्र सुखपाल को बंदी बना लिया और आजीवन उसे कैदी बनाए रखा।
(६)१००८ ई. में महमूद ने लाहौर के शासक आनंदपाल पर आक्रमण किया। आनंदपाल के नेतृत्व में ग्वालियर ,कालिंजर ,कन्नौज ,उज्जैन ,दिल्ली ,अजमेर तथा खोक्खर जाति ने बड़ी वीरता से महमूद का सामना किया ,किन्तु आनंदपाल के आंख में तीर लगने से घायल होकर युद्ध क्षेत्र से भाग खड़ा हुआ। इस युद्ध में पराजय के साथ ही हिन्दुशाही वंश के सामूहिक प्रयत्न पूर्ण रूप से विफल हो गए। भारतीय जनता एवं शासको के मन महमूद का आतंक बैठ गया।
(७ ) १००९ ई. में महमूद ने नगरकोट (कांगड़ा )पर आक्रमण कर यहां के मंदिर से अपार संपत्ति लूट ली।
(८ ) १०११ ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक दाऊद पर पुनः आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया।
(९ )१०१३ ई. में महमूद ने आनंदपाल के उत्तराधिकारी त्रिलोचन पाल की राजधानी 'नंदन 'को जीत कर गजनवी साम्राज्य का अंग बना लिया।
(१० )१०१४ ई. में महमूद ने थानेश्वर पर आक्रमण करके यहां के मंदिरो में लूटपाट की व किले पर अधिकार कर लिया।
(११ )१०१५ ई. में महमूद ने कश्मीर पर आक्रमण करके त्रिलोचन पाल के पुत्र भीमपाल को हराया।
(१२ )१०१८ ई. में महमूद ने मथुरा लूटपाट की। कन्नौज का शासक राजपाल शहर छोड़ कर भाग गया।
(१३ )१०२१ ई. महमूद ने कालिंजर व ग्वालियर पर पुनः आक्रमण करके उन पर अधिकार कर लिया।
(१४ )१०२१ ई. में महमूद ने पंजाब पर पुनः आक्रमण किया तथा जो क्षेत्र अभी तक स्वतन्त्र थे ,उन्हें गजनी साम्राज्य में पूर्ण रूप से मिला लिया
गया।
(१५ )१०२२ ई. में महमूद ने धन प्राप्ति हेतु कालिंजर पर पुनः आक्रमण किया।
(१६ )महमूद के आक्रमणो में सोमनाथ (काठियावाड़ ) पर आक्रमण सर्वाधिक प्रसिद्ध माना जाता है। १७ अक्टूबर ,१०२४ ई. को विशाल सेना के साथ उसने गजनी से कूच किया तथा जनवरी १०२५ ई. में वह गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ पहुंचा। यहां का राजा भीमदेव भाग गया। तीन दिन तक जनता ने महमूद का सामना किया ,किन्तु पराजित हुई। मंदिर से
महमूद को २० लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ।
(१७ ) १०२६ -२७ ई. में महमूद ने सिंध नदी और मुल्तान आस -पास बसे जाटों पर जल सेना द्वारा आक्रमण करके उन्हें पराजित किया। महमूद लूटपाट करके गजनी पहुंचा। १०३० ई. में वही उसकी मृत्यु हुई। उस समय वह ५९ वर्ष का था।


महमूद ने भारत पर १००० ई. से १०२६ ई. तक सत्रह बार आक्रमण किया। उसके इस आक्रमण का उल्लेख 'हेनरी इलिएट 'ने किया है।
(१)१००० ई. में प्रथम बार महमूद ने उत्तर -पश्चिमी सीमा के कुछ नगरों और पेशावर के आस -पास के कुछ किलो पर अधिकार किया।
(२)१००१ ई. में महमूद ने पेशावर पर आक्रमण करके बाजीराव को पराजित किया।
(३ )१००४ ई. में उसने भेरा तथा भटिण्डा पर आक्रमण करके बाजीराव को पराजित किया।
(४ )१००५ -०६ ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक अबुल फतह दाऊद को पराजित करके २०,००० सोने के दिरहम प्राप्त किए तथा जयपाल के पौत्र सेवकपाल (सुखपाल )को (जिसने इस्लाम स्वीकार कर नौकशाह नाम ग्रहण कर लिया था )मुल्तान को शासन सौप दिया।
(५ )महमूद के लौटते ही नौकशाह (सुखपाल )ने इस्लाम त्याग दिया। अतः महमूद ने आक्रमण क्र सुखपाल को बंदी बना लिया और आजीवन उसे कैदी बनाए रखा।
(६)१००८ ई. में महमूद ने लाहौर के शासक आनंदपाल पर आक्रमण किया। आनंदपाल के नेतृत्व में ग्वालियर ,कालिंजर ,कन्नौज ,उज्जैन ,दिल्ली ,अजमेर तथा खोक्खर जाति ने बड़ी वीरता से महमूद का सामना किया ,किन्तु आनंदपाल के आंख में तीर लगने से घायल होकर युद्ध क्षेत्र से भाग खड़ा हुआ। इस युद्ध में पराजय के साथ ही हिन्दुशाही वंश के सामूहिक प्रयत्न पूर्ण रूप से विफल हो गए। भारतीय जनता एवं शासको के मन महमूद का आतंक बैठ गया।
(७ ) १००९ ई. में महमूद ने नगरकोट (कांगड़ा )पर आक्रमण कर यहां के मंदिर से अपार संपत्ति लूट ली।
(८ ) १०११ ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक दाऊद पर पुनः आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया।
(९ )१०१३ ई. में महमूद ने आनंदपाल के उत्तराधिकारी त्रिलोचन पाल की राजधानी 'नंदन 'को जीत कर गजनवी साम्राज्य का अंग बना लिया।
(१० )१०१४ ई. में महमूद ने थानेश्वर पर आक्रमण करके यहां के मंदिरो में लूटपाट की व किले पर अधिकार कर लिया।
(११ )१०१५ ई. में महमूद ने कश्मीर पर आक्रमण करके त्रिलोचन पाल के पुत्र भीमपाल को हराया।
(१२ )१०१८ ई. में महमूद ने मथुरा लूटपाट की। कन्नौज का शासक राजपाल शहर छोड़ कर भाग गया।
(१३ )१०२१ ई. महमूद ने कालिंजर व ग्वालियर पर पुनः आक्रमण करके उन पर अधिकार कर लिया।
(१४ )१०२१ ई. में महमूद ने पंजाब पर पुनः आक्रमण किया तथा जो क्षेत्र अभी तक स्वतन्त्र थे ,उन्हें गजनी साम्राज्य में पूर्ण रूप से मिला लिया
गया।
(१५ )१०२२ ई. में महमूद ने धन प्राप्ति हेतु कालिंजर पर पुनः आक्रमण किया।
(१६ )महमूद के आक्रमणो में सोमनाथ (काठियावाड़ ) पर आक्रमण सर्वाधिक प्रसिद्ध माना जाता है। १७ अक्टूबर ,१०२४ ई. को विशाल सेना के साथ उसने गजनी से कूच किया तथा जनवरी १०२५ ई. में वह गुजरात की राजधानी अन्हिलवाड़ पहुंचा। यहां का राजा भीमदेव भाग गया। तीन दिन तक जनता ने महमूद का सामना किया ,किन्तु पराजित हुई। मंदिर से
महमूद को २० लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ।
(१७ ) १०२६ -२७ ई. में महमूद ने सिंध नदी और मुल्तान आस -पास बसे जाटों पर जल सेना द्वारा आक्रमण करके उन्हें पराजित किया। महमूद लूटपाट करके गजनी पहुंचा। १०३० ई. में वही उसकी मृत्यु हुई। उस समय वह ५९ वर्ष का था।
Comments
Post a Comment