मगध साम्राज्य
मगध साम्राज्य
- ईसा पूर्व के सोलह महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था।
- प्राचीन भारत में साम्राजयवाद की शुरुआत या विकास का श्रेय मगध को दिया जाता है।
हर्यंक वंश
- मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक बिम्बिसार (544- ई पू. -492 ई. पू. )था। उसकी राजधानी गिरिव्रज (राजगृह )थी।
- बिम्बिसार ने अपने राजकीय चिकित्सक 'जीवक 'को पड़ोसी राज्य अवन्ति के शासक चंडप्रघोत महासेन की चिकित्सा के लिए भेजा था।
- बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु (492 ई. पू. -460 ई. पू. )ने बंदी बनाकर सत्ता पर कब्जा जमाया।
- अजातशत्रु ने वज्जि संघ के लिच्छिवियों को पराजित करने के लिए 'रथमूसल ' एवं 'महाशिलाकण्टक 'नामक नए हथियारों का प्रयोग किया।
- अजातशत्रु के शासनकाल में राजगृह सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था।
- अजातशत्रु का पुत्र उदयिन (उदयभद्र )(460 ई. पू. -444 ई. पू. )हर्यंक वंश का तीसरा शासक था ,उसने पाटिलपुत्र (वर्तमान पटना ) की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
- शिशुनाग वंश
- हर्यंक वंश के सेनापति शिशुनाग ने मगध की सत्ता पर कब्जा कर शिशुनाग वंश की स्थापना की
- इस वंश के शासक कालाशोक (काकवर्ण ) के शासनकाल में मगघ की राजधानी वैशाली थी ,जहाँ द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
- नन्द वंश
- नन्द वंश का संस्थापक महापदमनंद था। उसे सर्वक्षत्रान्तक अर्थात 'सभी क्षत्रियो का नाश करने वाला 'कहा गया है।
- महापदमनंद ने एकछत्र राज्य की स्थापना की तथा एकराट की उपाधि धारण की।
- नन्द वंश का अंतिम शासक धननंद था। इसी के शासनकाल में सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था।
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